धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे ।
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते more info मोहि आन उबारो॥
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥